-:स्थिर सुखासन:-
स्थिर सुखासन एक योगासन है जो ध्यान और मेधा शक्ति को विकसित करने के लिए उपयोगी होता है। यह आसन ध्यान के लिए एक सुखद और स्थिर आसन है जो चित्त को शांत करके उसे एकाग्र करने में मदद करता है। इसका नाम "स्थिर सुखासन" है क्योंकि यह आसन शांत और सुखद होता है और उसे एक स्थिर और सुखद स्थिति में बनाए रखता है।
स्थिर सुखासन को करने का तरीका :-
1.एक सीधी और स्थिर सीटी पर बैठें। आप एक योगामट या कोई चटाई भी प्रयोग कर सकते हैं जो आपको आरामदायकता प्रदान करे।
2.अपने पैरों को समय-समय पर छोड़ें ताकि वे एक आरामदायक और सुखद स्थिति में हों।
3.अपने पैरों को धीरे-धीरे तन करें ताकि वे आपके शरीर का संपूर्ण वजन सहन कर सकें।
4.हाथों को अपने गोड़ों पर रखें या उन्हें आपकी पसरी हुई जांघों पर रखें। यह आपकी बाहों को समर्थन देगा और आपके शरीर में आरामदायकता प्रदान करेगा।
5.आँखें बंद करें और ध्यान को अपने आप में ले जाने का प्रयास करें।
6.श्वास को सामान्य रखें और साँस लेने-देने में किसी तरह की कठिनाई न हो।
7.समय के लिए इस स्थिति में रहें और शांत मन के साथ सामर्थ्य को अनुभव करें।
=>लाभ :-
नोकासन:-
नोकासन (Nokasan) एक आसन (योगासन) है जो शारीरिक लाभ प्रदान करने के लिए उपयोगी होता है। इस आसन को विशेष रूप से पेट, कमर, जांघ, बाएं कूल्हे और नीचे के पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए विकसित किया गया है। यह आपके पूरे शरीर की मजबूती को बढ़ाने में मदद करता है।
नोकासन को करने का तरीका:-
1.एक चटाई या योगामट पर बैठें। आप यह आसन पूरी शांति और सुख के साथ बैठे हुए कर सकते हैं।
2.पैरों को सीधा रखें और गोड़ों को एक साथ जमा करें।
3.दाएं हाथ को नीचे की ओर जमा करें और उसे अपने शरीर के आस-पास समर्थित करें।
4.बाएं हाथ को उच्च तक उठाएं और आसानी से तन करें। इससे आपके कंधों, बाजूओं और तोंद में एक अच्छा खींचाव होगा।
5.स्थिति को कुछ समय तक बनाए रखें और सामर्थ्य को महसूस करें।
6.दाएं हाथ को सामान्य अवस्था में लाएं और बाएं हाथ को धीरे-धीरे नीचे की ओर ले जाएं। इसे करने से आपके शरीर की मांसपेशियों को खींचाव मिलेगा।
7.समय के लिए इस स्थिति में रहें और शांति का आनंद लें।
=>लाभ :-
नोकासन का नियमित अभ्यास करने से पेट, कमर, जांघ, बाएं कूल्हे और नीचे के पैरों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। इससे शारीरिक तंदुरुस्ती और संतुलन में सुधार होता है। यह आसन आपके पूरे शरीर को सुधारता है और उसे मजबूत और लचीला बनाता है।
उठिथ मंदुकासन :-
उठिथ मंदुकासन (Utitha Mandukasana) एक योगासन है जो पेट की चर्बी को कम करने और पाचन को सुधारने के लिए उपयोगी होता है। यह आसन बैठे हुए योगासन की श्रेणी में आता है और प्रायः बैठे हुए आसनों की तरह ही किया जाता है।
उठिथ मंदुकासन को करने का तरीका:-
1.एक सीधी और स्थिर सीटी पर बैठें। आप एक योगामट या कोई चटाई भी प्रयोग कर सकते हैं जो आपको आरामदायकता प्रदान करे।
2.पैरों को आपस में मिलाएं और जांघों को छोड़ दें, जिससे कि आपके पैर जमा हों।
3.पैरों को थोड़ा बाहर की ओर धकेलें ताकि उठिथ मंदुकासन के लिए तैयार हों।
4.अपने दोनों हाथों को जांघों के पास रखें।
5.अपने आगे के भाग को धीरे-धीरे आगे ले जाएं और शरीर का वजन पेशीयों पर ढीला करें।
6.श्वास को सामान्य रखें और साँस लेने-देने में किसी तरह की कठिनाई न हो।
7.समय के लिए इस स्थिति में रहें और सामर्थ्य को महसूस करें।
=>लाभ :-
उठिथ मंदुकासन के नियमित अभ्यास से पेट की चर्बी कम होने में मदद मिलती है और पाचन को सुधारता है। यह आसन पेट की मांसपेशियों को आंतरिक दबाव से राहत प्रदान करता है और उन्हें मजबूत बनाता है। इसके अलावा, यह आसन पृथक्करण और विश्राम को बढ़ावा देता है और आपको एक ताजगीपूर्ण अनुभव प्रदान करता है।
कोणासन:-
कोणासन (Konasan) योगासन एक हिंदी शब्द है जो भारतीय संस्कृति और आयुर्वेद में प्रयुक्त होता है। यह आसन मन को शांत करने और ध्यान को एकाग्र करने के लिए उपयोगी होता है। कोणासन को "कोण" यानी "कोणा" और "आसन" यानी "आसन" से मिलाकर बनाया गया है, जिसका अर्थ होता है "कोण में बैठने का आसन"।
कोणासन को करने का तरीका :-
1.योग मैट पर या चटाई पर खड़े हों और अपने पैरों को थोड़ा छोड़ें।
2.दोनों हाथों को जाने दें और पैरों के बीच में उन्हें रखें। हाथों की उँगलियाँ पैरों के आगे दिखें।
3.हाथों को धीरे-धीरे बाएं और दाएं ओर घुमाएं, साथ ही एक समय में शरीर को घुमाएं।
4.गहरी सांस लें और ध्यान को शरीर के गतिशीलता पर समर्पित करें।
5.आराम से शुरू करें और धीरे-धीरे अपनी घुमावदारता को बढ़ाएं।
6.नियमित समय तक इस आसन को करते रहें और ध्यान के साथ विश्राम करें।
=>लाभ :-
कोणासन ध्यान के लिए एक महत्वपूर्ण आसन होता है जो मन को शांत करने और एकाग्रता को बढ़ाने में मदद करता है। यह आसन शरीर की गतिशीलता को बढ़ाने के साथ-साथ मानसिक तनाव और चिंता को कम करने में भी मदद करता है। यदि आप एकाग्रता को विकसित करना चाहते हैं और मन को शांत करना चाहते हैं, तो कोणासन का नियमित अभ्यास आपको उन लक्ष्यों की ओर ले जा सकता है।
वृषासन:-
वृषासन (Vrisasana) एक योगासन है जो स्थिरता, स्थायित्व और ध्यान को विकसित करने के लिए उपयोगी होता है। यह आसन वृक्ष के आकार को दर्शाने के लिए जाना जाता है, क्योंकि इसे बनाने के दौरान आपके शरीर के सामर्थ्य और स्थिरता की आवश्यकता होती है।
वृषासन को करने का तरीका :-
1.एक योग मैट पर खड़े हो जाएं। आपके पैर होंठों की चौड़ाई के बराबर दूरी पर हों।
2.आपके पैरों को मजबूत और समर्थित रखने के लिए अपने गोड़ों को जमा करें।
3.आपके बाएं पैर को दाएं जांघ के ऊपर ले जाएं। आपके दाएं बांह को ऊपर उठाएं और उसे अपनी सिर के पास रखें।
4.ध्यान केंद्रित करें और धीरे से अपने उच्च स्तर को बनाए रखें। आप अपने दोनों हाथों को ऊपर उठा सकते हैं, इसे वृक्ष की शाखाओं की तरह सोचें।
5.सामर्थ्य के साथ दृढ़ता के साथ अपने पैरों को जमा रखें और स्थिरता का आनंद लें।
6.शांत मन के साथ वृषासन में कुछ समय बिताएं।
=>लाभ :-
वृषासन का नियमित अभ्यास स्थिरता और स्थायित्व को विकसित करता है और ध्यान को बढ़ाता है। यह आसन आपके शरीर की समर्थता और धैर्य को बढ़ाता है और आपको अधिक उत्साह और आत्मविश्वास प्रदान करता है। यह आपके शरीर, मन, और आत्मा की संतुलन को सुधारने में मदद करता है।
प्रिवृत्त वृक्षासन:-
प्रिवृत्त वृक्षासन (Privrit Vrikshasana) एक योगासन है जो स्थिरता, समता और शक्ति को विकसित करने के लिए उपयोगी होता है। इस आसन में, आप अपने शरीर को एक उलटे वृक्ष के रूप में स्थित करते हैं, जो स्थिरता और समता के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।
प्रिवृत्त वृक्षासन को करने का तरीका :-
1.एक योग मैट पर खड़े हो जाएं। आपके पैर होंठों की चौड़ाई के बराबर दूरी पर हों।
2. बाएं पैर को धीरे-धीरे घुमाएं और उसे अपने दाएं जांघ के बाल के पास लाएं। आपके बाएं हाथ को आपकी जांघ के आगे रखें।
3.आपके दाएं हाथ को उच्च स्थान पर उठाएं और ऊपर की ओर टिकाएं। इसे वृक्ष की शाखाओं की तरह सोचें।
4.ध्यान केंद्रित करें और धीरे से अपने उच्च स्तर को बनाए रखें। अपने हृदय को खोलें और ध्यान को अपने शरीर के साथ समर्पित करें।
5.आपके द्वारा धारण किए गए स्थान पर कुछ समय बिताएं और शांति का आनंद लें।
6.सामर्थ्य और स्थिरता के साथ धीरे-धीरे अपने पैरों को जमा रखें।
=>लाभ :-
प्रिवृत्त वृक्षासन का नियमित अभ्यास स्थिरता, समता और शक्ति को विकसित करता है। यह आसन आपके शरीर के संतुलन को सुधारता है, आपके मस्तिष्क को स्थिर करता है, और मानसिक चिंता और तनाव को कम करता है। इसके अलावा, यह आपके शरीर की कोशिकाओं को जीवंत और प्राणित करने में मदद करता है और आपको ताजगी और सुरक्षा का अनुभव कराता है।
नोकीमुद्रा:-
नोकीमुद्रा (Nokimudra) एक प्राणायाम तकनीक है जो श्वास प्रशांति और मानसिक शांति के लिए उपयोगी होती है। यह तकनीक नाक की अग्र उंगली को बाएं नाक के छेद पर रखने पर आधारित होती है। इसे ध्यान और मन की निगरानी को विकसित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
नोकीमुद्रा को करने का तरीका:-
1.आराम से बैठें और अपने सामरिक और मानसिक संतुलन को प्राप्त करें। आप एक योगासन में बैठे हुए भी इसे कर सकते हैं।
2.आपकी दाईं हाथ की अग्र उंगली को धीरे-धीरे बाएं नाक के छेद पर रखें। इसे ध्यान से करें और दबाव न डालें।
3.अपने दाहिने नारीखेंचनी (नर्सल) नाक छेद पर स्पष्टता से रखें। यह आपकी उंगली को सही स्थान पर रखने में मदद करेगा।
4.श्वास को सामान्य रखें और आंतरिक शांति का अनुभव करें।
5.आपको अपने मन को ध्यान में रखने के लिए ध्यान केंद्रित करना होगा। अपनी सांसों का निगरानी करें और अपने मन की गतिविधि को सामरिक रखें।
6.इस स्थिति में कुछ समय बिताएं और शांति का आनंद लें।
=>लाभ :-
नोकीमुद्रा ध्यान और शांति के लिए एक प्राणायाम तकनीक है। इसका नियमित अभ्यास स्थिरता और ध्यान को बढ़ाता है और मानसिक चंचलता को कम करता है। यह आपको मन की निगरानी में मदद करता है, मानसिक चिंता को शांत करता है और आपको एक स्थिर और ध्यानयुक्त स्थिति में लाता है
सलभासन :-
सलभासन (Salabhasana) एक प्रसिद्ध पुरुषों और महिलाओं के बीच लोकप्रिय योगासन है। इस आसन को आयुर्वेद और योग शास्त्र में पृथक्करण और मनोविज्ञान के लिए उपयोगी माना जाता है। सलभासन को "सलभ" यानी "तितली" और "आसन" यानी "आसन" से मिलाकर बनाया गया है, जिसका अर्थ होता है "तितली की तरह बैठने का आसन"।
सलभासन को करने का तरीका:-
1.पहले योग मैट पर चित्त भरकर पेट के बल लेट जाएं। अपनी साँसों को धीरे-धीरे छोड़ें और शरीर को शांत करें।
2.अपने पांवों को धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाएं, जैसे कि तितली अपने पंखों को ऊपर उठाती है। अपने शरीर को सीधा और ध्यान से रखें।
3.आपके हाथों को अपने शरीर के पास रखें, ताकि आप अपने हाथों को शरीर के बल धर सकें।
4.ध्यान केंद्रित करें और धीरे-धीरे अपने पैरों को ऊपर उठाएं, जैसे कि तितली अपने पंखों को ऊपर उठाती है। यह आपके पेट के बल ऊपर की ओर उठने की कोशिश करना होगा।
5.नीचे की ओर श्वास को धीरे-धीरे छोड़ें और ध्यान को अपने शरीर के साथ संगठित रखें। आपको यह ध्यान रखना होगा कि आपकी साँस की गति शांत और सामान्य हो।
6.कुछ समय तक इस स्थिति में बने रहें और शांति का आनंद लें।
=>लाभ :-
सलभासन का नियमित अभ्यास स्पाइनल कोलम्न को मजबूत बनाता है, पीठ और पेट की मांसपेशियों को तंदरुस्त रखता है, और पेट और पीठ की चर्बी को कम करता है। इसके अलावा, यह आपके शरीर की व्यायामिकता को बढ़ाता है, दिल को स्वस्थ रखता है,
उत्थित त्रिकोणासन:-
उत्थित त्रिकोणासन (Utthita Trikonasana) एक प्रमुख योगासन है जो शरीर को मजबूत और लचीला बनाने के लिए उपयोगी होता है। इस आसन में, आप त्रिकोण की आकृति में खड़े होते हैं और शरीर के विभिन्न हिस्सों को संतुलित करते हैं। यह आसन शरीर की लंबाई, सुस्ती, श्वास की गति, और शारीरिक संतुलन को बढ़ाने में मदद करता है।
उत्थित त्रिकोणासन को करने का तरीका :-
1.योग मैट पर खड़े हो जाएं, पैरों की दूरी थोड़ी छोड़ दें। हाथों को निचे लटकाएं और स्पंदन बढ़ाएं।
2.अपने दाहिने पैर को दायें ओर मुड़ें और अपने बाएं पैर को बाएं ओर मुड़ें। पैरों को अपने बढ़े हुए भाग में फैलाएं, साथ ही करणीयों को अच्छी तरह से बंद रखें।
3.ध्यान केंद्रित करें और देहरी को सदैव सामयिक रखें। शांत रहें और साँस को सामान्य रखें।
4.अपने दाहिने पैर को दायें ओर मुड़ें, और अपने बाएं हाथ को शरीर के उपर ले जाएं। ध्यान दें कि आपके दोनों हाथ पूरी तरह से व्याप्त रहें।
5.गहरी सांस लें और ध्यान को शरीर के गतिशीलता पर संयोजित करें। शरीर को थोड़ा आगे-पीछे मूड़ें, जैसे कि त्रिकोण की आकृति की तरह।
6.कुछ समय तक इस आसन में बने रहें और शांति का आनंद लें।
=>लाभ :-
उत्थित त्रिकोणासन शारीरिक और मानसिक संतुलन को सुधारने में मदद करता है। यह आपके पृष्ठ, पेट, पीठ, पांव, और पीठ की मांसपेशियों को मजबूत और लचीला बनाता है। यह आपके शरीर की व्यायामिकता को बढ़ाता है, अन्तरंग अंगों को शक्ति प्रदान करता है, और मानसिक तनाव और तनाव को कम करता है।
सुप्त वज्रासन:-
सुप्त वज्रासन (Supta Vajrasana) एक योगासन है जो आराम से बैठे हुए योगासन वज्रासन की वैशिष्ट्यकर रूप है। इस आसन में, आप वज्रासन के रूप में बैठे हुए होते हैं, और फिर धीरे-धीरे पीठ को धरती पर लेट जाते हैं। यह आसन शरीर को आराम और सुख प्रदान करता है और मानसिक चिंता को शांत करने में मदद करता है।
सुप्त वज्रासन को करने का तरीका :-
1.योग मैट पर वज्रासन में बैठें। इसके लिए, अपने पांवों को अग्रदिशा में टिकाएं और अपने बढ़े हुए हिस्से पर बैठें। अपने गोड़ों को धरती पर जमा करें।
2.ध्यान केंद्रित करें और धीरे-धीरे शरीर को पीठ के बल लेटा जाएं। पीठ को धीरे-धीरे धरती पर समाये और ध्यान से स्थिर रहें।
3.अपने हाथों को आराम से शरीर के दोनों ओर फैलाएं। आप उन्हें सरकाते या अपनी शरीर से सम्पर्क में रख सकते हैं।
4.अपनी सांसें गहराएं और शरीर को ध्यान से स्थिर रखें। ध्यान दें कि आपकी सांस की गति शांत और सामान्य हो।
5.कुछ समय तक इस स्थिति में बने रहें और शांति का आनंद लें।
=>लाभ :-
सुप्त वज्रासन आपके शरीर को आराम और शांति प्रदान करता है। इसका नियमित अभ्यास शरीर की थकान और तनाव को कम करता है, पीठ की मांसपेशियों को आराम प्रदान करता है, और मन को शांत करता है। यह आपके न्यूरोमस्कुलर संयंत्र को स्थायी रूप से बनाए रखने में मदद करता है और ध्यान और मनोविज्ञान को सुधारता है।
उष्ट्राकृतिसन:-
उष्ट्राकृतिसन (Ushtrakritasana) योग का एक आसन है जो एक उष्ट्र (ऊँट) की आकृति को दर्शाता है। यह आसन पूरे शरीर को स्तिमित करने के लिए उपयोगी होता है। इस आसन में, आप घुटनों के बल आगे को झुकते हैं और पीठ को वापस की ओर उठाते हैं, जिससे आपके शरीर की मांसपेशियों को व्यायाम मिलता है।
उष्ट्राकृतिसन को करने का तरीका :-
1.योग मैट पर बैठें और अपने पांवों को आगे की ओर बढ़ाएं, आगे की ओर जुकाएं। आपके घुटनों को विपरीत रुप से झुकना चाहिए।
2.अपने हाथों को बैठे हुए शरीर के सामान्य स्थान पर रखें। आप इसे अपनी जीभ के नीचे रख सकते हैं या अपने पास बांध सकते हैं।
3.आपको ध्यान केंद्रित करना होगा और आपको धीरे-धीरे उठने और झुकने की क्रिया को प्राकृतिक ढंग से करना होगा। यह ध्यान रखें कि आपकी सांस की गति सामान्य रहे और ध्यान केंद्रित बने रहें।
4.शांत रहें और धीरे-धीरे शरीर को ऊँचाई पर उठाएं, जैसे एक ऊँट की आकृति। यह शरीर की मांसपेशियों को स्तिमित करने में मदद करेगा।
5.ध्यान को बनाए रखें और इस स्थिति में कुछ समय बिताएं, शांति का आनंद लें।
=>लाभ :-
उष्ट्राकृतिसन शरीर की मांसपेशियों को स्तिमित करने और व्यायामिकता को बढ़ाने में मदद करता है। यह आपकी पीठ, पैरों, और जांघों को मजबूत बनाता है और संतुलित रखता है।
आर्धपवनमुक्तासन:-
आर्धपवनमुक्तासन (Ardha Pawanmuktasana) योग का एक आसन है जो पेट की गैस को कम करने और पाचन को सुधारने के लिए उपयोगी होता है। इस आसन में, आप अपने पूरे शरीर को गोड़ों की तरह घुटनों के नीचे जमा करते हैं और पेट को दबाते हैं। यह आसन पाचन तंत्र को स्थिर करके पेट के विकारों को दूर करने में मदद करता है।
आर्धपवनमुक्तासन को करने का तरीका : :-
1योग मैट पर सीधे लेट जाएं। आपके पैर सीधे होने चाहिए और आपके हाथ साइड पर रखे जाने चाहिए।
2.अपने दाहिने पैर को घुटना फ्लेक्स करते हुए छाती के पास लाएं और उसे गले के नीचे दबाएं। यदि आपके पैर को घुटना फ्लेक्स करने में कठिनाई होती है, तो आप उन्हें सहायता के लिए एक कसरत की पट्टी या एक तकिया इस्तेमाल कर सकते हैं।
3.अपनी सांस को धीरे-धीरे छोड़ें और पेट को दबाने के लिए अपने दोनों हाथों को उठाएं। आपको ध्यान रखना है कि आपकी सांस धीरे और गहरी होनी चाहिए।
4.ध्यान केंद्रित करें और धीरे-धीरे पेट को ऊपर की ओर दबाएं, जिससे आपका जोर पेट के भाग पर पड़े। इसे करते समय ध्यान रखें कि आपकी पीठ और सिर अच्छी तरह से समर्पित रहें।
5.आप इस स्थिति में कुछ समय तक बने रहें, अपनी सांसों को सामान्य करें और ध्यान केंद्रित करें।
6.अब अपने दाहिने पैर को धीरे-धीरे पैर के नीचे लाएं और उसे सामान्य स्थिति में लाएं। फिर से सांस लें और ध्यान को शरीर के साथ संगठित रखें।
7.धीरे-धीरे आराम से खड़े हो जाएं और शांति का आनंद लें।
आर्धपवनमुक्तासन आपके पेट को शांति और सुख प्रदान करता है।
सुप्त पादांगुष्ठासन:-
सुप्त पादांगुष्ठासन (Supat Padangusthasana) योग का एक आसन है जो पैरों की मांसपेशियों को स्तिमित करने और शरीर को शांति और आराम प्रदान करने के लिए उपयोगी होता है। इस आसन में, आप आपके पैरों को ऊपर की ओर उठाते हैं और उन्हें आराम से पकड़ते हैं। यह आसन शरीर की लंबाई को बढ़ाता है, मांसपेशियों को स्तिमित करता है और मन को शांत करता है।
सुप्त पादांगुष्ठासन को करने का तरीका :-
1.योग मैट पर सो जाएं और आराम से पीठ के बल लेट जाएं।
2.अपनी सांस को धीरे-धीरे छोड़ें और ध्यान को अपने शरीर के साथ संगठित रखें।
3.अपने दाहिने हाथ को उठाएं और अपने दाहिने पैर के उंगलियों को पकड़ें। यदि आप अपने पैर को पकड़ने में कठिनाई महसूस करते हैं, तो एक योग रस्सी या एक पट्टी का उपयोग कर सकते हैं।
4.धीरे-धीरे अपने पैरों को ऊपर की ओर उठाएं, जैसे कि आप अपने पैरों को शीर्षासन में उठाते हैं। यहां ध्यान दें कि आपके नीचे की ओर श्वास को धीरे-धीरे छोड़ें और शांति के साथ स्थिर रहें।
5.कुछ समय तक इस स्थिति में बने रहें और ध्यान को अपने शरीर के साथ संगठित रखें। शांति का आनंद लें और सांस को गहराएं।
6.अब धीरे-धीरे अपने पैरों को सामान्य स्थिति में नीचे लाएं और शांति के साथ स्थिर रहें।
7.धीरे-धीरे आराम से खड़े हो जाएं और शांति का आनंद लें।
=>लाभ :-
सुप्त पादांगुष्ठासन शरीर की लंबाई को बढ़ाता है, पांवों की मांसपेशियों को स्तिमित करता है और मानसिक चिंता को कम करने में मदद करता है।
हलासना:-
हलासना योग का एक आसन है जो शरीर को मजबूत बनाने, ताना-मना दूर करने और मानसिक चिंताओं को कम करने में मदद करता है। यह आसन स्थिरता और स्थैर्य को बढ़ाता है और साथ ही साथ पीठ, पीठ, कंधों, गर्दन और पेट के मांसपेशियों को मजबूत और सुडौल बनाने में मदद करता है। हलासना योग में शरीर को आपातकालीन स्थिति में ले जाते हैं जिससे शरीर को तानाशाही करने की जरूरत होती है। यह आपके पदार्थ ज्ञान को बढ़ाता है और शरीर के भिन्न अंगों के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
यहां हलासना को करने का तरीका :-
1.सबसे पहले, आसन लेने के लिए एक योगमाट या चटाई पर लेट जाएँ।
2.अपने पैरों को सीधा रखें और अपने हाथों को सिर के पीछे लटकाएँ।
3.अब धीरे-धीरे अपने पैरों को 90 डिग्री के कोण में ऊपर उठाएँ।
4.शरीर को धीरे-धीरे सीधा करते हुए पूरी तरह से ऊँची नहीं उठाएँ, बल्कि धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए शरीर को पिछले आसन में लाने की कोशिश करें।
5.अपने पैरों को शरीर के पीठ के पीछे लटकाएँ।
6.इस स्थिति में 1-2 मिनट रहें और ध्यान रखें कि आपकी सांसें समान रूप से बह रही हों।
7.आसन को धीरे-धीरे छोड़ते हुए शरीर को आराम से वापस लाएँ।
=>लाभ :-
हलासना करने से पहले ध्यान देने योगाचार्य से परामर्श लेना जरूरी है, खासकर यदि आपको किसी पीठ रोग, गर्भावस्था, हैरनिया या मोच की समस्या है।
शवासन:-
शवासन (Savasana) योग का एक महत्वपूर्ण आसन है जो शांति, आत्म-संयम और ताजगी प्राप्त करने में मदद करता है। यह आसन ध्यान और मेधाशक्ति को बढ़ाने, तनाव को कम करने, शारीरिक और मानसिक संतुलन को बढ़ाने में सहायता प्रदान करता है। शवासना आपको गहरी विश्राम और शांति की अवस्था में ले जाता है जहां आप शारीरिक और मानसिक तनाव को छोड़कर शांत मन को अनुभव कर सकते हैं।
यहां शवासना को करने का तरीका :-
1.सबसे पहले, एक योगमाट या चटाई पर लेट जाएँ।
2.अपने पैरों को थोड़ा दूर करें और अपने हाथों को सीधे रखें, अंगूठे को छोड़ते हुए पल्म्स को ऊपर की ओर देखने वाली ज्योति में रखें।
3.आपकी पीठ को सीधा और सही ढंग से रखें। सर्वोत्तम स्थिति के लिए, अपने सिर को दोनों ओर थोड़ा झुकाएँ, ताकि आपकी गर्दन की मांसपेशियाँ सुखी और आरामदायक हों।
4.शवासना में, आपको सबकुछ छोड़ देना होगा। ध्यान रखें कि आपका शरीर समतल हो, आपकी सांसें धीरे और सामान्य रूप से बह रही हों और दिमाग को शांत रखें।
5.शवासना में 5 से 15 मिनट तक रहें। ध्यान दें कि आपके शरीर के हर हिस्से को सुख और आराम मिल रहा हो।
6.धीरे-धीरे शवासना से बाहर निकलें। पैरों को हिलाएं, अपने आप को थोड़ा झुकाएं और फिर से बैठ जाएँ।
=>लाभ :-
शवासना को नियमित रूप से प्राक्टिस करने से आपको शांति, ताजगी, मानसिक शक्ति और संतुलन मिलेगा।