-:सूर्य नमस्कार:-
सूर्य नमस्कार एक प्राचीन योगासन है जो हमारे शरीर, मन और आत्मा को स्वस्थ और स्थिर बनाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह अनुभव करने में आसान है और इसे नियमित रूप से अपनाने से हमारे शरीर के साथ-साथ मानसिक स्थिति भी सुधारती है।
सूर्य नमस्कार का अर्थ होता है "सूर्य को नमस्कार करना" या "सूर्य की पूजा करना"। इसे सूर्यास्त और सूर्योदय के समय प्रार्थना या योग के रूप में किया जाता है। यह एक सुर्य देव की आराधना के रूप में भी देखा जाता है, क्योंकि सूर्य हिन्दू धर्म में जीवन का प्रमुख प्रतीक है।
एक पूरे सूर्य नमस्कार के 12 आसन होते हैं, जिन्हें आप सम्पूर्ण शरीर के लिए स्थायी लाभ प्रदान करने के लिए एक क्रम में करते हैं। यहां सूर्य नमस्कार के विभिन्न आसनों के नाम हैं:-
1.प्राणामासन (Prayer pose)
2.हस्त उत्थानासन (Raised arms pose)
3.पादहस्तासन (Standing forward band)
4.आश्वासन चलनासन (Equestrian pose)
5.पर्वतासन (Stick pose)
6.अष्टांग नमस्कार (Solute with eight parts or points)
7.भुजंगासन (Cobra pose)
8.अधोमुख सवासन(Downward facing dog pose)
9.आश्वासन चलनासन (Equestrian pose)
10.पादहस्तासन (Standing forward band)
11.हस्त उत्थानासन (Raised arms pose)
12.प्राणामासन (Mountain pose)
इन आसनों को योग के बाद करने के बाद शांति और ध्यान के लिए आप प्राणायाम जैसे अनुलोम-विलोम, उज्जायी प्राणायाम आदि कर सकते हैं। सूर्य नमस्कार करने से शरीर की गतिशीलता, स्थिरता, दिमाग की शांति और सामर्थ्य में सुधार होता है। यह शरीर के अवयवों को मजबूत और लचीला बनाता है, पाचन तंत्र को सुधारता है, वजन कम करने और मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है
1.प्राणामासन (Prayer pose):-
सूर्य नमस्कार के दौरान प्रणामासन को इस प्रकार किया जाता है:-
1.सुर्य नमस्कार की प्रारंभिक स्थिति से शुरू करें। इसके लिए अपने पैरों को एक साथ जोड़ें और ह्रदय क्षेत्र की ओर मुड़ें। आँखें बंद रखें और ध्यान केंद्रित करें।
2.फिर, अपने हाथों को साइड पर उठाएं और उन्हें अपने सिर के समीप ले जाएं। इसे ब्रह्ममुद्रा कहा जाता है।
3.अब अपने दाहिने पैर को पीछे धकेलें और आपकी बाईं जांघ को आगे की ओर बाहर करें। इसके साथ ही, आपका शरीर आदित्यासन की स्थिति में आ जाएगा, जिसमें आपके दाहिने पैर का एक हिस्सा आपकी बाएं जांघ से जोड़ा हुआ रहेगा।
4.अब, अपने दाहिने हाथ को उठाएं और उसे आसमान की ओर निरंतर बढ़ाते जाएं। आपका शरीर अकांतासन की स्थिति में आ जाएगा, जहां आपके दाहिने हाथ की उंगलियाँ आपकी बाएं जांघ को छू सकती हैं।
5.अब, दाहिने पैर को आगे बढ़ाते हुए उठाएं और उसे आपके शरीर के बाईं ओर ले जाएं। आपका शरीर पदहस्तासन की स्थिति में आ जाएगा, जहां आपका दाहिना पैर आपकी बाईं जांघ से जुड़ा रहेगा।
6.अब, आपका पूरा शरीर उछलते हुए उच्चों उच्च उठना चाहिए और इसे हस्तासन की स्थिति में ले जाना चाहिए। इसमें आपके हाथों को ऊपर उठाया जाता है, आपकी आंखें सीधी रहती हैं और आप एक निश्वास लेते हैं।
7.अब, शरीर को अविराम असन की स्थिति में लाएं। इसके लिए, आपको अपने आंखों को बंद करना चाहिए, शरीर को धीरे-धीरे झुकाना चाहिए और पैरों को एक साथ जोड़ना चाहिए।
इस प्रकार, सूर्य नमस्कार के दौरान प्रणामासन को किया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण आसन है जो ध्यान को केंद्रित करने और शरीर को तैयार करने में मदद करता है।
2.हस्त उत्थानासन (Raised arms pose):-
सूर्य नमस्कार में हस्तुत्थानासन एक महत्वपूर्ण आसन है जिसे ध्यानपूर्वक किया जाता है। हस्तुत्थानासन को सूर्य नमस्कार के दूसरे स्थान पर किया जाता है, जिसे प्रारंभिक स्थिति भी कहा जाता है। इस आसन में हम अपने हाथों को ऊँची आँखों तक उठाते हैं और शरीर को खोलते हैं।
यहां हस्तुत्थानासन को करने की विधि है:-
1.सूर्य नमस्कार के पहले स्थान से शुरू करें। आपके पैरों को समान दूरी पर रखें और अपने हाथों को साइड पर उठाएं। हाथों को एकत्र करें और उदर की ओर मोड़ें, जिसे ब्रह्ममुद्रा कहा जाता है। यह आपकी प्रारंभिक स्थिति होगी।
2.अब ध्यान केंद्रित करते हुए, धीरे-धीरे अपने हाथों को आपकी सीधी आँखों की ओर उठाएं। हाथों को सीधा रखें और अंगूठों को बाईं और दाईं ओर फैलाएं। आपके हाथ आपके कानों के समान होने चाहिए।
3.अब शरीर को पूरी तरह से खड़ा करें, आपकी नाभि को समुद्र नाड़ी तक खोलने के लिए प्रयास करें। हस्तुत्थानासन की स्थिति में, आपका शरीर तनावमुक्त होना चाहिए और आपकी पीठ सीधी होनी चाहिए।
4.सांस को धीरे-धीरे लें और इस स्थिति में ठहरें, जो शांति और स्थिरता को बढ़ाता है। आप ध्यान केंद्रित कर सकते हैं और आत्मसमर्पण की भावना को महसूस कर सकते हैं।
5.अब, सांस छोड़ते हुए हाथों को धीरे-धीरे नीचे ले जाएं और पूरी तरह से अधोमुखी उत्थानासन (फोरवर्ड बेंड पोज) की स्थिति में आ जाएं।
यहां कुछ ध्यान देने योग्य बातें हैं:-
1.हस्तुत्थानासन को सूर्य नमस्कार के दूसरे स्थान पर करने से पूरे नमस्कार में एक सामरिक बल महसूस होता है।
2.इस आसन को ध्यानपूर्वक करने से मानसिक चंचलता दूर होती है और मनश्चंचलन कम होता है।
3.यदि आपको किसी शरीरिक समस्या या चोट के कारण हस्तुत्थानासन करने में कठिनाई होती है, तो आप उसे छोड़ सकते हैं और अगले आसन पर आगे बढ़ सकते हैं।
4.सूर्य नमस्कार का हस्तुत्थानासन शरीर को खोलने में मदद करता है।
3.पादहस्तासन (Standing forward band):-
सूर्य नमस्कार के दौरान पादहस्तासन एक महत्वपूर्ण आसन है जिसमें हम अपने शरीर को आगे की ओर झुकाते हैं और अपने पैरों को छूते हैं। इस आसन को ध्यानपूर्वक और सही तरीके से करने से शरीर के मांसपेशियों, पाचन तंत्र और पांवों को लाभ मिलता है।
यहां पादहस्तासन को करने की विधि है:-
1.सूर्य नमस्कार के तृतीय स्थान से शुरू करें। आपके पैरों को समान दूरी पर रखें।
2.सांस छोड़ते हुए, धीरे-धीरे अपने हाथों को बायां और दायां ओर बढ़ाएं और शरीर को आगे की ओर झुकाएं। अपने सिर को बाईं ओर मोड़ें और अपने पैरों को छूने की कोशिश करें।
3.यदि आप शुरूआती हैं तो आपके पैर जितना आगे झुकने में कठिनाई हो सकती है, तो आप धीरे-धीरे और सावधानीपूर्वक अपने शरीर को झुकाएं। अगर संभव हो, तो पैरों को लगभग सीधा रखने का प्रयास करें।
4.ध्यान रखें कि आपकी गर्दन और कंधे आराम से बढ़ाएं और शरीर को बिल्कुल सीधा रखें।
5.इस स्थिति में ठहरने के बाद, सांस लेने का प्रयास करें और यदि संभव हो, तो अपने पैरों को और ज्यादा आगे बढ़ाने की कोशिश करें।
6.पादहस्तासन की स्थिति में, आपके पैरों को छूने की कोशिश करें। यदि आपके मार्ग में कोई लचीलापन नहीं है, तो अपने पैरों को छूना संभव होगा।
7.सांस छोड़ते हुए, धीरे-धीरे अपने हाथों को साइड पर ले जाएं और खड़े हो जाएं, प्रारंभिक स्थिति में लौटें
ध्यान देने योग्य बातें:-
1.पादहस्तासन को विधिवत और ध्यानपूर्वक करने के लिए अपनी संयमित सांस और सावधानी बनाए रखें।
2.अगर आपको पैरों को छूने में कठिनाई होती है, तो आप अपने घुटनों को मोड़ सकते हैं या उन्हें थोड़ा धीमा कर सकते हैं। धीरे-धीरे अपनी लचीलापन को बढ़ाते हुए पैरों को छूने का प्रयास करें।
3.यदि आपके घुटनों, पीठ या किसी अन्य शरीरिक समस्या के कारण आपको पादहस्तासन करने में कठिनाई होती है, तो आप इसे छोड़ सकते हैं।
4.आश्वासन चलनासन (Equestrian pose) :-
सूर्य नमस्कार में आश्वासन चालनासन एक महत्वपूर्ण आसन है जिसमें हम अपने एक पैर को आगे बढ़ाते हैं और दूसरा पैर पीठ की ओर ले जाते हैं। यह आसन पूरे शरीर को स्ट्रेच करने, शक्ति और सुरक्षा को विकसित करने में मदद करता है।
यहां आश्वासन चालनासन को करने की विधि है:-
1.सूर्य नमस्कार के चौथे स्थान से शुरू करें। आपके पैरों को थोड़ा सा दूरी पर रखें।
2.सांस छोड़ते हुए, आपका दाहिना पैर आगे बढ़ाएं और उसे सीधा रखें। आपका दाहिना पैर बीसीसीएस या ताड़ासन की स्थिति में होना चाहिए।
3.अब आपका बायां पैर पीठ की ओर ले जाएं। आपका बायां पैर आदित्यासन या लंगूरासन की स्थिति में होना चाहिए।
4.यदि आप शुरूआती हैं तो पूरी तरह से पैर को आगे बढ़ाने में कठिनाई हो सकती है। धीरे-धीरे और सावधानीपूर्वक आगे बढ़ाएं और अपनी नींद बचाएं।
5.शरीर को समग्र ढंग से स्ट्रेच करें। आपका बायां पैर सीधा रहेगा, आपकी गर्दन और कंधे आराम से बढ़ाएं और ध्यान रखें कि आपका शरीर एक समतुल्य लाइन पर हो।
6.सांस छोड़ते हुए, आपका दाहिना पैर अपने बाएं पैर के पास ले जाएं। आपका दाहिना पैर लंगूरासन या आदित्यासन की स्थिति में होना चाहिए।
7.सांस छोड़ते हुए अपनी प्रारंभिक स्थिति में लौटें, जहां आपके पैरों को आगे बढ़ाने की कोशिश नहीं करनी होती है।
ध्यान देने योग्य बातें:-
1.आश्वासन चालनासन को सटीकता और स्थिरता के साथ करने के लिए अपनी संयमित सांस और संयमित ध्यान बनाए रखें।
2.यदि आपको पैरों को पूरी तरह से आगे बढ़ाने में कठिनाई होती है, तो आप अपने घुटनों को मोड़ सकते हैं या उन्हें थोड़ा धीमा कर सकते हैं। धीरे-धीरे अपनी लचीलापन को बढ़ाते हुए पैरों को आगे बढ़ाने का प्रयास करें।
3.यदि आपको किसी शरीरिक समस्या या चोट के कारण आश्वासन चालनासन करने में कठिनाई होती है, तो आप इसे छोड़ सकता है।
5.पर्वतासन (Stick pose):-
सूर्य नमस्कार एक प्राचीन योगासन है जिसे भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य नमस्कार में पर्वतासन एक अहम् आसन है जो शरीर के विभिन्न हिस्सों को मजबूत बनाने में मदद करता है। पर्वतासन को इंग्लिश में "Mountain Pose" भी कहा जाता है।
पर्वतासन के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:-
1.शुरुआत में सूर्य नमस्कार के ध्येय को ध्यान में रखें और ताड़ासन (योगासन 1) में खड़े हो जाएं।
2.अब सांस छोड़ते हुए अपने हाथों को उठाएं और आपके सिर के पीछे ले जाएं। इससे आपके शरीर के बायां हिस्से में तानाव बनेगा।
3.अब अपने बाएं पैर को आगे धकेलें और बाईं टांग को सीधा रखें। आपके शरीर का आधा वजन आपके दाहिने पैर पर होगा।
4.ध्यान रखें कि आपके पैर धरती से मजबूती से जुड़े हुए हों। आपके गुदे को भी निचे की ओर खिंचें ताकि आपकी कमर सीधी रहे।
5.इस स्थिति में कुछ समय तक ठहरें और गहरी सांस लें। इससे आपके पैरों, पीठ, और कंधों को मजबूती मिलेगी।
6.धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए अपने दाहिने पैर को भी आगे धकेलें और दाईं टांग को सीधा रखें। इससे आपके दोनों पैर एक साथ धरती से जुड़ जाएंगे।
7.फिर से ठहरें और सांस छोड़ें।
यदि आप सूर्य नमस्कार के दौरान पर्वतासन को करना चाहते हैं, तो उपरोक्त चरणों का पालन करें और उसे हर रेपिटीशन में शामिल करें। ध्यान रखें कि पर्वतासन स्थिरता, संतुलन, और शरीर को मजबूत बनाने में मदद करता है
6.अष्टांग नमस्कार (Salute with eight parts or points):-
सूर्य नमस्कार में अष्टांग नमस्कार एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसे भारतीय योग संस्कृति में शामिल किया जाता है। अष्टांग नमस्कार को इंग्लिश में "Eight-Limbed Salutation" भी कहा जाता है। इसका अभ्यास करने से शरीर के विभिन्न हिस्से आकर्षक और मजबूत बनते हैं।
अष्टांग नमस्कार के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:-
1.शुरुआत में सूर्य नमस्कार के ध्येय को ध्यान में रखें और ताड़ासन (योगासन 1) में खड़े हो जाएं।
2.फिर से श्वास छोड़ते हुए हाथों को उठाएं और आपके सिर के पीछे ले जाएं, जिससे शरीर का आधा वजन आपके हाथों पर रहेगा। इसे हस्तासन (योगासन 2) कहा जाता है।
3.अब सहस्त्रारासन (योगासन 3) की पोजीशन बनाएं, जहां आप अपने शरीर को नीचे झुकाते हुए आपकी चाती को धरती पर लगाते हैं।
4.इसके बाद, अस्थित्वासन (योगासन 4) करें, जिसमें आप अपने पैरों को वापस ले जाते हैं और अपनी शरीर को सीधा और स्थिर रखते हैं।
5.अब चतुरङ्ग दण्डासन (योगासन 5) में आएं, जहां आप अपने हाथों और पैरों की सहायता से तलवों को छूआते हैं, जबकि आपकी कमर और छाती एक सीधी रेखा बनाती हैं।
6.फिर से श्वास छोड़ते हुए उर्ध्वमुख श्वानासन (योगासन 6) में आएं, जहां आप अपने सिर को उठाते हैं और शरीर के ऊपरी भाग को सीधा करते हैं।
7.अब अदो मुख श्वानासन (योगासन 7) की पोजीशन बनाएं, जिसमें आप अपने शरीर को ऊँची और उलटी वातायनिक खींचते हैं और अपनी गुदा को ऊपर करते हैं।
8.अंत में, पश्चिम नमस्कार (योगासन 8) करें, जिसमें आप अपने हाथों को ऊपर उठाते हैं और अपने शरीर को पीछे की ओर झुकाते हैं,
इससे आपकी पीठ, पीठ की हड्डी और पूरे पीठीय विभाजन को आकर्षक और मजबूती मिलेगी
7.भुजंगासन (Cobra pose):-
सूर्य नमस्कार में भुजङ्गासन एक महत्वपूर्ण आसन है जो शारीरिक और मानसिक लाभ प्रदान करता है। यह आसन शारीरिक लचीलापन और सुजान को बढ़ाता है, पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करता है और पीठ दर्द को कम करने में मदद करता है। यह मस्तिष्क, हृदय, पेट, फेफड़े और अध पुर्व द्वारा काम करने वाले अन्य अंगों के लिए भी उपयोगी होता है।
भुजङ्गासन को कैसे करें:-
1.पहले ताड़ासन या समस्थिति आसन में खड़े हो जाएँ।
2.सांस लेते हुए, आपके पैर थोड़ा छोटा रखें, हथेली को शरीर के नीचे लगाएं और अपनी प्राणिक ऊर्जा को नवीकृत करें।
3.धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए, हाथों को नीचे रखें और अपने पेट के ऊपर सदियों को उठाएं। अपने कंधों को तनाव में रखें।
4.अब अपने ऊपर के देह के हिस्से को उठाएं और आपके नाभि और अपनी पीठ के ऊपर लटकने दें। इसके दौरान आपकी बाएं हाथेली को जमीन पर रखें।
5.इस स्थिति में रहें और सांस धीरे-धीरे छोड़ें। ध्यान दें कि आपकी गर्दन को नीचे न दबाएं, बल्कि आपकी आँखें उठी हुई रहें।
6.सांस धीरे-धीरे छोड़ते हुए, हाथों को धीरे-धीरे घुटनों के पास लाएं और अपनी गर्दन को ऊपर की ओर उठाएं।
7.संगति के साथ अपनी प्राणिक ऊर्जा को नियंत्रित करें और ध्यान दें कि आपके कंधे व घुटनों को टटोलने की आवश्यकता नहीं है।
8.सांस धीरे-धीरे छोड़ते हुए, अपने पेट को जमीन पर लटकने दें और अपने शरीर को धीरे-धीरे उतारें। समाप्ति पर, ताड़ासन में आकर वापस आएं।
ध्यान दें कि यदि आपके पीठ में कोई चोट या संकट हो, या यदि आपको लंबे समय तक यह आसन करने में कठिनाई होती है, तो आपको इसे करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।
8.अधोमुख सवासन(Downward facing dog pose):-
अधोमुख शवासन (Adhomukh Savasana) एक प्राणायाम और योग आसन है जो हिन्दी में "अधोमुख सवासन" के रूप में भी जाना जाता है। यह आसन विशेष रूप से ध्यान और धारणा को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
इस आसन को करने के लिए आप नीचे दिए गए चरणों का पालन कर सकते हैं:-
1.आराम से दीर्घकालिक सवासना (शवासना) आसन में लेट जाएँ। इसमें आपके पैर छोड़ देवें, हाथ साइड में रखें, और आंतरिक शांति का अनुभव करें।
2.सवासना के बाद, आपको अधोमुख सवासन के लिए कंधे के ऊपर का भाग उठाना होगा। इसके लिए, अपने हाथ और घुटनों को जमीन पर स्पष्ट करें, और कंधे के ऊपर को धीरे से उठाएँ। अब आपके सिर, कंधे और हाथ एक सीधी रेखा बनाएँगे।
3.अपने सिर को बाएं और दाएं घुटनों के बीच में स्थान करें, और अपनी आँखें नीचे की ओर देखें। ध्यान रखें कि आपका गर्दन रेखाएं सुखद रहें।
4.इस स्थिति में, अपनी सांसें समय के साथ नियंत्रित करें और शांत और गहरी श्वास लें। आप इस आसन को कितने समय तक करते हैं, यह आपकी आवश्यकताओं और योग्यता पर निर्भर करेगा।
अधोमुख सवासन का योगिक लाभ :-
यह तनाव को कम करने, मन को शांत करने और मेंटल क्लैरिटी को बढ़ाने में मदद करता है। इसके अलावा, यह आपकी संतुलन क्षमता को बढ़ाने, पेशाब की समस्याओं को दूर करने, और एकाग्रता को बढ़ाने में भी मदद कर सकता है।
9.आश्वासन चलनासन (Equestrian pose):-
सूर्य नमस्कार एक प्राचीन योगाभ्यास है जिसमें अनेक आसनों का समूह होता है। इसमें आश्वासन चलनासन नौवें स्थिति में किया जाता है। आइए आपको इस आसन के बारे में विस्तार से बताता हूँ:
1.सबसे पहले, शीर्ष शिक्षका स्थान धारण करें। इसके लिए अपने बाएँ पैर को पीठ के पास रखें। आपके बाएँ हाथ को ऊँची आंखों के स्तर तक उठाएं और सीधे बाएँ हाथ को धीरे सीधे ऊंची आंखों के स्तर तक बढ़ाएं। अपने दाएँ हाथ को धीरे सीधे ऊँची आंखों के स्तर तक बढ़ाएं। यह आपकी शिरा की दिशा होगी।
2.अब, दाहिने पैर को बढ़ाएं और दाहिने घुटने को लाएं और यह सुनिश्चित करें कि आपका शरीर एक रेखा के साथ सीधा है। आपका दाहिना हाथ भी एक रेखा के साथ सीधा होना चाहिए।
3.अपने सांई पैर को बढ़ाएं और बाईं घुटने को लाएं ताकि आपका शरीर एक विषम वक्र बना सके। आपका वाम हाथ भी विषम वक्र के साथ बना होना चाहिए।
4.दाहिने पैर को पीठ के पास रखें और अपने हाथों को पीठ के पास रखें। आपका शरीर एक विषम वक्र बनाएगा।
5.अब, दाहिने पैर को पीठ के पास ले जाएं और अपने हाथों को पीठ के पास लाएं। आपका शरीर एक रेखा के साथ सीधा होना चाहिए। आपका वाम हाथ भी एक रेखा के साथ सीधा होना चाहिए।
6.अपने सांई पैर को पीठ के पास ले जाएं और बाईं घुटने को लाएं। आपका शरीर एक विषम वक्र बनाएगा। आपका वाम हाथ भी विषम वक्र के साथ बना होना चाहिए।
7.दाहिने पैर को आगे ले जाएं और दाहिने घुटने को जमीन पर लाएं। आपका वाम हाथ ऊंची आंखों के स्तर तक उठाएं और अपने दाहिने हाथ को धीरे सीधे ऊंची आंखों के स्तर तक बढ़ाएं। यह आपकी शिरा की दिशा होगी।
8.अपने वाम पैर को आगे ले जाएं और बाईं घुटने को जमीन पर लाएं। आपका दाहिना हाथ ऊंची आंखों के स्तर तक उठाएं और अपने वाम हाथ को धीरे सीधे ऊंची आंखों के स्तर तक बढ़ाएं।
9.अब, आपके बाएँ पैर को पीठ के पास ले जाएं
10.पादहस्तासन (Standing forward band):-
सूर्य नमस्कार के दसवें स्थान में 'पादहस्तासन' नामक आसन किया जाता है।
इस आसन के बारे में निम्नलिखित है:-
1.अपने दोनों पैरों को मद्धम तेजी से एकसाथ आगे करेंगे।
2.अपने श्वास को बाहर करें और सांस छोड़ें।
3.अब अपने शरीर को सामान्य रूप से झुकाएं और अपने हाथों को जमीन की ओर ले जाएं।
4.हाथों को आपके आँखों के समान जगह पर रखें, जिससे आपका शरीर एक सीधी रेखा बनाए।
5.अब, अपने शीर्ष को दृष्टि की दिशा में उठाएं। यह आपकी पीठ के दृष्टिकोण के बराबर होना चाहिए।
6.अपने शरीर को धीरे-धीरे आगे झुकाएं ताकि आपके हाथ पैरों के पास जाएं। हाथ जमीन को छूने की कोशिश न करें, लेकिन अगर आप योग्यता रखते हैं तो धीरे-धीरे हाथों को जमीन पर रखें।
7.जहां तक संभव हो, पैरों को सीधे और तंग रखें। यदि आपकी शारीरिक योग्यता इसे अनुमति नहीं देती है, तो थोड़ा अंतरविराम करें और अपने पैरों को समान ढंग से सीधा रखें।
8.ध्यान दें कि आपका शिरा जमीन की ओर दिखे, और आपका गर्भ कांच की ओर जाए।
9.अब, अपनी सांस को अंदर लें और शरीर को समान्य स्थिति में लाएं।
11.हस्त उत्थानासन (Raised arms pose):-
हस्त उत्थानासन, सूर्य नमस्कार का 11वें स्थान पर किया जाने वाला आसन है। यह आपके हाथों की मांग को सबल बनाता है और हाथों, कंधों, पीठ की मांसपेशियों, तलवों और पैरों को मजबूत करने में मदद करता है।
हस्त उत्थानासन को कैसे करें:-
1.सूर्य नमस्कार के पहले हस्त उत्थानासन करने के लिए, पहले आपको प्रारंभिक स्थिति में आना होगा। इसके लिए, आपके पैरों को मैदान में बड़ा रखें, हौंसला रखें, और आपके हाथों को छाती के सामने रखें।
2.अब, जब आप श्वास पूर्वक बाहर ध्यान केंद्रित कर रहे हों, धीरे-धीरे अपने आप को ऊपर की ओर खींचें। इस प्रक्रिया में, आपके घुटनों को सीधा रखें और आपके हाथ भूमि की ओर बढ़ते जाएं। यह आपकी कमर को सीधा रखेगा और आपकी पीठ को सीधा करेगा।
3.जब आप ऊपर की ओर पूरी तरह ऊठ गए हों, तो आपको अपने हाथों को पीठ पर संरक्षित करना होगा। इसके लिए, आपको अपने हाथों को ऊपर की ओर खींचना होगा और उन्हें आसमान की ओर उठाना होगा। इस स्थिति में, आपके हाथ आपके कानों के समीप होंगे।
4.अब धीरे-धीरे आपको अपने हाथों को माथे की ओर नीचे ले जाना है। इस प्रक्रिया में, आपको अपने ऊपरी शरीर को धीरे-धीरे नीचे ले जाना होगा, जबकि आपके हाथ आपकी माथे पर संरक्षित रहेंगे।
5.अंत में, आपको धीरे-धीरे अपने हाथों को बाएं पैर के पास रखना है, जबकि आपका दाहिना पैर पीठ से ऊपर उठा रहेगा। इस स्थिति में, आपका दाहिना घुटना थोड़ी मात्रा में झुका हुआ होगा।
=>यही हस्त उत्थानासन का 11वें स्थिति है जिसे सूर्य नमस्कार में किया जाता है। इस आसन को सही ढंग से करने के लिए, नियमित अभ्यास और सतर्कता की आवश्यकता होती है।
12.प्राणामासन (Mountain pose):-
सूर्य नमस्कार का 12वां स्थान प्राणामासन के रूप में जाना जाता है। परानामासन एक प्रणाम आसन है जिसे सूर्य नमस्कार के अंत में किया जाता है। यह आसन शांति और स्थिरता को संकेत करता है और मन को तृप्ति और ध्यान में लाता है।
प्राणामासन को कैसे करें:-
1.सूर्य नमस्कार के अंत में प्राणामासन करने के लिए, पहले आपको अपने पैरों को मैदान में जोड़ना होगा। आपके पैर एक साथ रखें और उन्हें बड़ी तनाव से रखें।
2.अब अपने हाथों को छाती के सामने रखें और अपने पाठलगृह के दिशा में चलें। इसके दौरान आपका श्वास नियमित होना चाहिए।
3.धीरे-धीरे, अपने बायां पैर को दाहिने भुजा के पास रखें और अपने बाएं भुजा को दाहिने भुजा के साथ जोड़ें। यह आपके बाएं हाथ को दाहिने हाथ के साथ समायोजित करेगा।
4.अब आपको अपने हाथों को उठाकर शिरशासन की ओर खींचना होगा। यह आपकी पीठ को तंग करेगा और आपके हृदय को खोलेगा।
5.धीरे-धीरे, आपको अपने मस्तक को अपने पाठलगृह की ओर झुकाना होगा। इसके दौरान, आपका पूरा शरीर एक एकत्रित और समर्पित भाव से रहना चाहिए।
6.अब धीरे-धीरे, आपको अपने पूरे शरीर को धरती की ओर झुकाना होगा। आपके हाथों को पूरी तरह सीधा रखें और अपने सिर को नीचे की ओर मोड़ें।
प्राणामासन के दौरान, आपको ध्यान एवं मन को शांत और ध्यानित रखने का प्रयास करना चाहिए। यह आपको अंतरंग शांति और आनंद का अनुभव करने में मदद करेगा।
प्राणामासन सूर्य नमस्कार का अंतिम आसन होता है और इसे ध्यान और धारणा का अभ्यास बनाए रखना चाहिए। यह मन को स्थिर, शांत और प्रसन्न बनाने में मदद करता है।