-:योगासन:-
त्रेटाक योगासन:-
त्रेटाक योगासन एक प्राणायाम और ध्यान का आसन है जो शांति और मन को स्थिर करने में मदद करता है। यह आसन हमारे मन, शरीर और आत्मा को संयोग करने का एक माध्यम प्रदान करता है। इसको आसानी से करने के लिए आपको एक स्थिर आसन पर बैठना होता है और फिर आपको मन की अवधारणाओं को ध्यान में ले जाना होता है।
त्रेटाक योगासन के लाभ:-
1.मन की शांति:-
त्रेटाक योगासन ध्यान के माध्यम से मन को शांत करने में मदद करता है। यह मेंटल क्लॉरिटी और स्थिरता प्रदान करने में सहायक होता है।
2.ध्यान की प्राक्रतिकता:-
इस योगासन के माध्यम से आप अपने मन को प्राकृतिक तरीके से ध्यान की ओर ले जा सकते हैं।
3.तनाव कम करें:-
यह योगासन तनाव को कम करने में मदद करता है और मन को शांत और स्थिर बनाने के लिए शक्ति प्रदान करता है।
4.मनोवैज्ञानिक लाभ:-
त्रेटाक योगासन मानसिक स्थिरता, सुख और संतुष्टि द्वारा मनोवैज्ञानिक लाभ प्रदान करता है।
5.मेडिटेशन का अभ्यास:-
यह योगासन ध्यान का एक उच्च स्तरीय अभ्यास है और आपको आत्मा की प्राप्ति की ओर ले जाने में मदद करता है।
त्रेटाक योगासन को संग्रहण करने के लिए आप अपनी आंखें ढक दें, ध्यान को एक निश्चित बिंदु पर ध्यान केंद्रित करें, और मन को शांत और ध्यानित रखने के लिए उचित समय आसान में बने रहें। यह योगासन आपको एक गहरी स्थिति में ले जाता है जहां आप स्वयं को अधिक शांत और चेतना वाले अवस्थाओं में अनुभव कर सकते हैं।
प्रवृत्त वीरभद्रासन :-
प्रवृत्त वीरभद्रासन, एक योगासन है जो शक्ति, सुजान और संतुलन को विकसित करने में मदद करता है। यह आसन वीरभद्रासन (Veerabhadrasana) के विभिन्न रूपों में से एक है और इसमें शरीर की ओर घूमने या प्रवृत्ति के द्वारा आसन को और अधिक गहराया जाता है। यह आसन शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है।
प्रवृत्त वीरभद्रासन के लाभ:-
1.शरीर की कसरत:-
यह आसन शरीर के विभिन्न हिस्सों को कसने और मजबूत करने में मदद करता है, विशेष रूप से पैरों, जांघों, कंधों और पेट की मांसपेशियों को लकवा देता है।
2.संतुलित और स्थिरता:-
इस आसन को करने से शारीरिक और मानसिक स्थिरता की प्राप्ति होती है, जो हमें अधिक समर्पणशील बनाती है।
3.पेट से संबंधित लाभ:-
यह आसन पेट की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है, जिससे आंतों का अच्छा कार्य होता है और पाचन प्रक्रिया सुधारी जाती है।
4.संतुलन के विकास:-
इस आसन को करने से संतुलन की क्षमता में सुधार होती है, जिससे हमारा शरीर सुरक्षित और स्थिर रहता है।
5.मानसिक लाभ:-
प्रवृत्त वीरभद्रासन ध्यान का एक रूप है और मन को शांत और स्थिर बनाने में मदद करता है। यह मेंटल क्लॉरिटी को बढ़ाने, मनोवैज्ञानिक लाभ प्रदान करने और स्थितिकरण की क्षमता को विकसित करने में मदद करता है।
प्रवृत्त वीरभद्रासन को करने के लिए, आप नीचे दिए गए स्थान पर खड़े हों और एक पैर को आगे और दूसरा पैर पीछे धकेलें। फिर आपको अपने बाएं हाथ को आसमान की ओर उठाना होगा और अपने दाहिने हाथ को पूरी तरह बढ़ाना होगा।
शशांकासन :-
शशांकासन एक प्राणायाम और मेडिटेशन का आसन है जो शांति और मानसिक स्थिरता को विकसित करने में मदद करता है। यह आसन भगवान श्रीकृष्ण की आसन को दर्शाने वाले उनके शशांक (शीशा) की उत्पत्ति से प्राप्त हुआ है।
शशांकासन करने का तरीका:-
1.एक स्थिर आसन (सुखासन, वज्रासन या पद्मासन) में बैठें। अपनी आंखें बंद करें और शांत हो जाएं।
2.अब धीरे-धीरे अपने ऊपरी शरीर को आपके आप आगे की ओर झुकाएं। शांतिपूर्ण रूप से अपने माथे को मात्र भूमि पर लाएं।
3.ध्यान रखते हुए, अपने हाथों को धीरे-धीरे आपके सिर के संग ऊपर की ओर बढ़ाते जाएं। यह आपकी छाती के साथ एक समतल आकार बनाएगा।
4.धीरे-धीरे आपके हाथों को बाएं ओर उठाएं और सिर के नीचे लाएं, इसके बाद धीरे-धीरे दाएं ओर उठाएं और सिर के नीचे लाएं। आपके हाथों को अपने सिर के नीचे लाने और उठाने को ध्यानपूर्वक और सुव्यवस्थित रूप से करें।
शशांकासन के लाभ:-
1.मानसिक शांति:-
यह आसन मानसिक चिंता और तनाव को कम करने में मदद करता है और मन को शांत और स्थिर बनाने में सहायता प्रदान करता है।
2.संतुलन की सुधार:-
इस आसन का नियमित अभ्यास स्थायित्व की क्षमता को विकसित करता है और शरीर के केंद्रित और संतुलित रहने में मदद करता है।
3.पेट की समस्याओं का समाधान:-
शशांकासन पेट संबंधी समस्याओं को नियंत्रित करने में मदद करता है, जैसे कि आंतों की समस्याएं और पाचन प्रक्रिया को सुधारता है।
4.प्राण शक्ति और ऊर्जा की वृद्धि:-
यह आसन आपके शरीर के प्राण शक्ति को जागृत करने और ऊर्जा की वृद्धि करने में मदद करता है।
5.निद्रा की गुणवत्ता:-
शशांकासन शांति प्रदान करता है, मन को शांत करता है और आरामदायक निद्रा की गुणवत्ता को बढ़ाता है।
अदोषवस्त्रासन :-
अदोषवस्त्रासन, जिसे अंग्रेजी में "डॉउनवर्ड फेसिंग डॉग पोज" भी कहा जाता है, योग का एक प्रमुख आसन है। यह शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें निम्नलिखित हैं:
अदोषवस्त्रासन करने का तरीका:-
1. एक मैट या योगासन के चटाई पर बैठें और अपने हाथों और घुटनों को फ्लोर पर रखें। आपके हाथ सीधे और सुव्यवस्थित होने चाहिए, और अपनी पैरों को हिप्स छूएं।
2. अब अपने हाथों को आगे बढ़ाएँ और अपने घुटनों को उठाएँ, जिससे आपके पेट और पीठ एक रेखा बनाएं। यह योगासन के लिए आपकी प्राथमिक स्थिति होगी।
3. अब अपनी हिप्स को ऊपर की ओर उठाएँ और अपने पैरों को बाईं और दाईं ओर फैलाएं, जिससे आपके शरीर का त्रिकोणाकार आकार बन जाए। आपका सिर अवश्य ही भूमि की ओर मुड़ा हुआ होगा।
4. योगासन को सही संगठन के साथ बनाए रखें। शांतिपूर्वक सांस लें और ध्यान को स्थिर रखें। आप इस आसन को कुछ समय तक बनाए रख सकते हैं।
अदोषवस्त्रासन के लाभ:-
1. पूर्ण शरीर का व्यायाम:-
यह आसन आपके पूरे शरीर की एकदम स्थानिक व्यायाम करता है, जिससे आपकी मांसपेशियों को टोन करता है और संकुचित होने से बचाता है।
2. तनाव कम करना:-
अदोषवस्त्रासन तनाव को कम करने और मन को शांत करने में मदद करता है। यह मानसिक चिंता, चिंता और तनाव को कम करने में सक्षम होता है।
3. पाचन प्रणाली को सुधारना:-
यह आसन पाचन प्रणाली को सुधारता है और पेट से जुड़ी समस्याओं को नियंत्रित करने में मदद करता है।
4.स्थूल और सूक्ष्म शरीर के संयोग:-
इस आसन द्वारा हम अपने स्थूल (शारीरिक) और सूक्ष्म (आत्मिक) शरीर के संयोग को अनुभव करते हैं और इसे बनाए रख सकते हैं।
सक्तासन :-
सक्तासन एक प्राणायाम और मेडिटेशन का आसन है जो शक्ति, संतुलन और मानसिक समृद्धि को विकसित करने में मदद करता है। यह आसन तांत्रिक और योगिक प्रदर्शन के द्वारा प्रस्तुत होता है और शक्ति देवी या देवी शक्ति को आदर्श मानता है। यह आसन शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है।
सक्तासन को करने के लिए, आप एक योगासन के चट्टान (ट्रायांगल पोज) में बैठेंगे और अपने घुटनों को बैठे हुए रखेंगे। ध्यान रखते हुए आप अपने हाथों को आकाश की ओर उठाएंगे और शांति को स्थिर रखेंगे।
सक्तासन के लाभ:-
1 . ऊर्जा और शक्ति का विकास:-
सक्तासन आपके शरीर में ऊर्जा की वृद्धि करता है और आपको शक्तिशाली बनाता है।
2. संतुलन और स्थायित्व:-
यह आसन शारीरिक संतुलन की प्राप्ति में मदद करता है और आपके स्थिरता को बढ़ाता है।
3. मानसिक स्थिरता:-
सक्तासन ध्यान को शांत करने और मन की स्थिरता को विकसित करने में मदद करता है। यह मनोवैज्ञानिक लाभ प्रदान करता है और मानसिक समृद्धि को बढ़ाता है।
4. ध्यान और मेडिटेशन:-
इस आसन को करने से आप ध्यान और मेडिटेशन के अवसर का लाभ उठा सकते हैं। यह आपको अपने अंतरंग आत्मा से जुड़ने में मदद करता है।
5. सुप्रभात की उत्कृष्टता:-
यह आसन सुप्रभात के दौरान किया जाता है और आपके दिन को शक्तिशाली, स्थिर और समृद्धि पूर्ण बनाता है।
6.शरीरिक लाभ:-
सक्तासन शरीर को फ्लेक्सिबिलिटी देता है, शरीर की शक्ति और टोनिंग को बढ़ाता है, पाचन प्रणाली को सुधारता है और शरीर को ताजगी और ऊर्जा प्रदान करता हैै।
सर्पासन:-
सर्पासन एक योगासन है जो शरीर की पठारों को खोलता है और पूरे शरीर की लचीलापन को विकसित करता है। यह आसन सर्प के आकार में होने के कारण इसका नाम सर्पासन है। सर्पासन को नाभि से ऊपर के हिस्से को ताना-बनाना और मांसपेशियों को खींचने के लिए किया जाता है।
सर्पासन को करने के लिए, आप फ्लोर पर सामान्य चट्टान (माउंटेन पोज) में लेटेंगे। अब अपने हाथों को उठाकर अपनी उंगलियों पर ध्यान रखते हुए आप अपने ऊपरी शरीर को ऊंचा करेंगे। शांतिपूर्वक सांस लें और ध्यान को स्थिर रखें। आप इस आसन को कुछ समय तक बनाए रख सकते हैं।
सर्पासन के लाभ:-
1.पृथ्वी तत्त्व के संतुलन को सुधारता है:-
सर्पासन पृथ्वी तत्त्व के संतुलन को सुधारता है, जो शरीर की स्थिरता और लचीलापन को बढ़ाता है।
2.कमर और पीठ की मांसपेशियों को स्ट्रेच करता है:-
यह आसन कमर और पीठ की मांसपेशियों को स्ट्रेच करता है और मजबूत बनाता है। यह पीठ के दर्द और तनाव को कम करने में मदद कर सकता है।
3.पाचन तंत्र को सुधारता है:-
सर्पासन पाचन तंत्र को सुधारता है और अग्नि को प्रोत्साहित करता है, जिससे पाचन प्रक्रिया सुचारू रूप से होती है।
4.ध्यान को स्थिर करता है:-
सर्पासन ध्यान को स्थिर करता है और मन की शांति और एकाग्रता को विकसित करता है। यह मन को स्थिर करके ध्यान की अवस्था में प्रवृत्त कर सकता है।
5.पेट संबंधी समस्याओं को सुधारता है:-
सर्पासन पेट संबंधी समस्याओं, जैसे कि कब्ज, आंतों की समस्याएं और अपच को सुधारता है।
6.श्वास नलियों को खोलता है:-
सर्पासन श्वास नलियों को खोलता है और श्वासायाम को सुधारता है, जिससे अधिक श्वासायाम और प्राणायाम की संभावना होती है।
आकर्णधनुरासन :-
आकर्णधनुरासन एक योगासन है जो शरीर के पीठ को मजबूत और लचीला बनाता है। यह आसन धनुरासन (धनुषासन) का वैशिष्ट्यिक रूप है जहां आप अपने पांवों को धनुष के अंग (रिसर्व चॉर्ड) के पीछे लाते हैं। इस आसन को करने के लिए उच्च स्थानिक लचीलापन और कोशिकाओं की लंबाई की आवश्यकता होती है।
आकर्णधनुरासन को करने के लिए, आप अपनी पीठ के नीचे चट्टान (माउंटेन पोज) में लेटेंगे। अब अपने घुटनों को झुकाएं और अपने पांवों को धनुष के अंग (रिसर्व चॉर्ड) के पीछे ले जाएं। शांतिपूर्वक सांस लें और ध्यान को स्थिर रखें। ध्यान दें कि यह आसन उच्च स्थानिक लचीलापन की आवश्यकता हो सकती है, इसलिए आपको धीरे-धीरे इसे बनाना चाहिए और स्थिरता के साथ करना चाहिए।
आकर्णधनुरासन के लाभ:-
1.पीठ की मजबूती:-
यह आसन आपकी पीठ की मजबूती को विकसित करता है और पीठ के दर्द को कम करने में मदद करता है।
2.शरीर की लचीलापन:-
आकर्णधनुरासन से शरीर की लचीलापन बढ़ती है, जो आपको आरामदायकता और शारीरिक सुविधा प्रदान करती है।
3.पाचन क्रिया को सुधारता है:-
यह आसन पाचन क्रिया को सुधारता है और पेट संबंधी समस्याओं को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
4.संतुलन और स्थैर्य:-
यह आसन संतुलन और स्थैर्य को बढ़ाता है और शरीर को संतुलित और स्थिर रखने में मदद करता है।
5.मानसिक तनाव को कम करता है:-
आकर्णधनुरासन ध्यान को स्थिर करता है और मन की शांति को विकसित करता है। यह मानसिक तनाव और चिंता को कम करने में मदद कर सकता है।
उत्थानपादासन :-
उत्थानपादासन एक योगासन है जो पेट की मांसपेशियों को मजबूत और सुव्यवस्थित करने में मदद करता है। इस आसन में आपको अपने पैरों को उठाकर आसन बनाना होता है, जिससे पेट की शक्ति और लचीलापन विकसित होती है।
उत्थानपादासन के लाभ:-
1.पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है:-
यह आसन पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है और पेट के चर्बी को कम करने में मदद कर सकता है।
2.पाचन तंत्र को सुधारता है:-
उत्थानपादासन पाचन तंत्र को सुधारता है और पाचन प्रक्रिया को सक्रिय करता है। यह पेट संबंधी समस्याओं, जैसे कि गैस, एसिडिटी और कब्ज, को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
3.पृथ्वी तत्त्व को संतुलित करता है:-
यह आसन पृथ्वी तत्त्व के संतुलन को सुधारता है और शरीर को स्थिरता प्रदान करता है।
4.श्वास नलियों को सुधारता है:-
उत्थानपादासन श्वास नलियों को सुधारता है और श्वास प्रश्वास को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
5.मानसिक शांति:-
यह आसन मानसिक चिंता को कम करने और मन को शांत करने में मदद करता है। यह मन की शांति और आत्मिक तनाव को कम करने में मदद कर सकता है।
उत्थानपादासन को करने के लिए, आप एक योग मत या एक कार्पेट पर सीधे लेट जाएंगे। अपनी पीठ को सीधा और समर्पित रखें। अब अपने पैरों को संवेदी और धीरे से उठाएं, जब तक आपके तालु और जांघ के बीच का कोण लगभग 45 डिग्री हो जाए। शांतिपूर्वक सांस लें और ध्यान को स्थिर रखें। आप इस आसन को कुछ समय तक बनाए रख सकते हैं।
अर्धचन्द्रासन :-
अर्धचन्द्रासन एक प्राणायाम और योगासन है जो चंद्रमा के आकार में होने के कारण इसका नाम अर्धचन्द्रासन है। इस आसन के दौरान, आप एक पैर को बाहर और ऊपर उठाते हैं, जिससे आपका शरीर एक वृद्धि के रूप में दिखाई देता है। यह आसन स्थायी स्थिरता, लचीलापन और ध्यान को विकसित करने में मदद करता है।
अर्धचन्द्रासन के लाभ:-
1.शरीर की संतुलन क्षमता को बढ़ाता है:-
यह आसन शरीर की संतुलन क्षमता को विकसित करता है और आपको स्थिरता और बल प्रदान करता है।
2.नर्वस सिस्टम को स्थिर करता है:-
अर्धचन्द्रासन नर्वस सिस्टम को स्थिर करता है और मानसिक शांति को विकसित करता है।
3.पीठ को मजबूत बनाता है:-
यह आसन पीठ को मजबूत बनाता है और पीठ से संबंधित समस्याओं को कम करने में मदद कर सकता है।
4.पाचन क्रिया को सुधारता है:-
इस आसन को करने से पाचन क्रिया को सुधारा जा सकता है और आपके पाचन प्रक्रिया को स्वस्थ बनाया जा सकता है।
5.सुविधाजनक शरीर:-
यह आसन आपको एक सुविधाजनक और लचीला शरीर प्रदान करता है। यह आपकी शरीरिक सुविधा को बढ़ाता है और आपको दिनचर्या में आसानी से काम करने में मदद करता है।
6.वजन कम करने में मदद करता है:-
इस आसन को करने से आपके शरीर के अतिरिक्त वजन को कम करने में मदद मिल सकती है।
अर्धचन्द्रासन को करने के लिए, आप योग मत पर खड़े हो जाएंगे। अब आप अपने पैरों को थोड़ा बढ़ाएंगे और आपकी एक तलवें पर बढ़ाने के लिए आप अपनी उंगलियों को दबाएंगे। शांतिपूर्वक सांस लें और ध्यान को स्थिर रखें। आप इस आसन को कुछ समय तक बनाए रख सकते हैं।
अष्टावक्रासन:-
अष्टावक्रासन एक प्रयागासन (ताड़ासन) है जो शरीर की संतुलित और मजबूत करने में मदद करता है। इस आसन में, आप अपने शरीर को एक तरफ मोड़कर बैठते हैं और हाथों को पैरों के चारों ओर घुमाते हैं। यह आसन शारीरिक स्थिरता, मानसिक तनाव को कम करने और स्थिरता को विकसित करने में मदद करता हैै।
अष्टावक्रासन को करने के लिए, आप योग मत पर बैठ जाएंगे। अब आप एक पैर को आपके आगे की ओर बाहर ले जाएंगे और उसे जमीन पर रखेंगे। आपके हाथ जमीन पर स्थिर रहेंगे और आप अपने दूसरे पैर को जमीन से उठाकर उसे अपने पहले पैर के ऊपर रखेंगे। शांतिपूर्वक सांस लें और ध्यान को स्थिर रखें। ध्यान दें कि यह आसन मजबूती और लचीलापन की आवश्यकता हो सकती है, इसलिए धीरे-धीरे योगासन को बनाएं और अपनी सीमाओं के अनुसार काम करें।
अष्टावक्रासन के लाभ:-
1.संतुलित स्थिरता:-
यह आसन आपकी संतुलित स्थिरता को विकसित करता है और आपके शरीर को स्थिर बनाए रखता है।
2.पाचन क्रिया को सुधारता है:-
अष्टावक्रासन पाचन क्रिया को सुधारता है और आपके पाचन प्रक्रिया को स्वस्थ बनाए रखता है।
3.मांसपेशियों को मजबूत करता है:-
इस आसन से आपकी मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं, खासकर पेट की मांसपेशियाँ, बांहें और पीठ के क्षेत्र में।
4.स्पाइनल कोर स्ट्रेंथ को बढ़ाता है:-
यह आसन आपके स्पाइनल कोर स्ट्रेंथ को विकसित करता है और पीठ के दर्द को कम करने में मदद कर सकता है।
5.मानसिक तनाव को कम करता है:-
अष्टावक्रासन मानसिक तनाव को कम करता है और मन को शांत करने में मदद करता है।
6.वक्रता (बैल) को शांत करता है:-
यह आसन वक्रता को शांत करता है, जो हमारे शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है।
भुज पीड़ासन :-
भुज पीड़ासन एक योगासन है जो शरीर की मजबूती और सुव्यवस्थितता को विकसित करने में मदद करता है। इस आसन में आप अपने हाथों की सहायता से अपनी बाहें पीठ के पीछे घुमाते हैं और पेट की मांसपेशियों को खींचते हैं। यह आसन पीठ, कंधे, हाथों और पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करता है।
भुज पीड़ासन को करने के लिए, आप योग मत पर बैठेंगे। अपने पैरों को सीधा और उच्च स्थानिक लचीलापन के साथ बढ़ाएं। अब आप अपने हाथों को बाएं और दाएं ओर घुमाएं, जब तक आपके आसन का नामकरण हो जाए। आप अपनी सांस बाहर छोड़ें और ध्यान को स्थिर रखें। ध्यान दें कि यह आसन मजबूती और लचीलापन की आवश्यकता हो सकती है, इसलिए धीरे-धीरे आसन को बनाएं और अपनी सीमाओं के अनुसार काम करें।
भुज पीड़ासन के लाभ:-
1.पीठ को मजबूत बनाता है:-
यह आसन आपकी पीठ की मजबूती को विकसित करता है और पीठ संबंधी समस्याओं को कम करने में मदद कर सकता है।
2.हाथों को मजबूत बनाता है:-
इस आसन से आपके हाथ मजबूत होते हैं और आपके हाथों की क्षमता को विकसित करता है।
3.पेट की मांसपेशियों को टोन करता है:-
भुज पीड़ासन पेट की मांसपेशियों को टोन करता है और पेट की चर्बी को कम करने में मदद कर सकता है।
4.कंधों को मजबूत बनाता है:-
यह आसन कंधों को मजबूत बनाता है और कंधों के दर्द को कम कर सकता है।
5.स्पाइनल को सुधारता है:-
भुज पीड़ासन स्पाइनल को सुधारता है और आपकी पीठ को समर्पित रखने में मदद करता है।
6.आत्मविश्वास और साहस को विकसित करता है:-
यह आसन आपके आत्मविश्वास और साहस को बढ़ाता है और आपको संतुलित और निर्भय बनाता है।
मूर्च्छासन :-
मूर्छासन एक आसन है जो शरीर की संरक्षणा को बढ़ाता है और मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है। इस आसन में, आप बैठते हैं और आपके पैर और शरीर को एक विशेष ढंग से मोड़ा जाता है। यह आसन शरीर की संरक्षणा, मस्तिष्क शांति और मन की ऊर्जा को बढ़ाने में मदद करता है
मूर्छासन को करने के लिए, आप योग मत पर बैठ जाएंगे। अपने पैरों को सीधा रखें और अपने आंतरिक ज्ञानी नाड़ी को अपनी आगे की ओर ले जाएं।
मूर्छासन के लाभ:-
1.मानसिक चिंता को कम करता है:-
मूर्छासन मानसिक तनाव को कम करता है और मस्तिष्क को शांत करने में मदद करता है।
2.शरीर की संरक्षणा को बढ़ाता है:-
यह आसन शरीर की संरक्षणा को विकसित करता है और आपको सुरक्षित महसूस कराता है।
3.आंत्र क्रिया को शांत करता है:-
मूर्छासन आंत्र क्रिया को शांत करता है और पाचन प्रक्रिया को सुधारता है।
4.मन की ऊर्जा को बढ़ाता है:-
यह आसन मन की ऊर्जा को बढ़ाता है और आपको सक्रिय और जागरूक बनाता है।
5.पूर्णायाम को सुधारता है:-
मूर्छासन पूर्णायाम को सुधारता है और आपके श्वास-प्रश्वास को नियंत्रित करने में मदद करता है।